गीत गोविंद (Geet Govind) भारतीय भक्ति-साहित्य का रत्न है।
यह केवल एक काव्य नहीं —
यह राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम, भक्ति, विरह, आनंद और आध्यात्मिक मिलन का काव्यात्मक अनुभव है।
गीत गोविन्द लिरिक्स
श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए।
कलितललितवनमाल जय जय देव हरे॥
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए।
मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे ॥
कालियविषधरगंजन जनरंजन ए।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे ॥
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए।
सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे ॥
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए।
त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे ॥
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए।
समरशमितदशकण्ठ जय जय देव हरे ॥
अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर ए।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे ॥
तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए।
कुरु कुशलंव प्रणतेषु जय जय देव हरे ॥
श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं कुरुते मृदम् ।
मंगलमंजुलगीतं जय जय देव हरे ॥
राधे कृष्णा हरे गोविंद गोपाला नन्द जू को लाला ।
यशोदा दुलाला जय जय देव हरे ॥
12वीं शताब्दी के महान कवि जयदेव द्वारा रचित यह काव्य आज भी:
- मंदिरों में गाया जाता है
- नृत्य-नाट्य में प्रस्तुत होता है
- भक्तों को भक्ति-रस में डूबो देता है
- आध्यात्मिक साधना का माध्यम है
गीत गोविंद में प्रेम, सौंदर्य, करुणा और आध्यात्मिकता — सब कुछ एक साथ मिलता है।
चलिए इस दिव्य ग्रंथ को सरल भाषा में समझते हैं।
🌸 1. गीत गोविंद क्या है? (What Is Geet Govind)
गीत गोविंद संस्कृत में रचित एक लिरिकल (गायन योग्य) भक्ति काव्य है।
इसमें भगवान कृष्ण (गोविंद) और राधा के प्रेम को:
- सौंदर्य
- संगीत
- भाव
- प्रेम
- विरह
- मिलन
- भक्ति
के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
यह पाठक को आत्मा और परमात्मा के मिलन की अनुभूति कराता है।
🌼 2. जयदेव कौन थे? (About the Poet Jayadeva)
जयदेव 12वीं सदी के प्रमुख कवि थे।
वे ओडिशा के थे और भगवान कृष्ण की अनन्य भक्ति में डूबे रहते थे।
कथाओं के अनुसार:
- जयदेव को यह काव्य दिव्य प्रेरणा से प्राप्त हुआ
- कृष्ण ने स्वयं आकर गीत की एक पंक्ति पूर्ण की
- कई प्रसंगों में जयदेव के ऊपर ईश्वरीय साक्षात्कार हुआ
इसलिए गीत गोविंद को दिव्य-प्रेरित काव्य कहा गया है।
🌺 3. गीत गोविंद की कथा (Story Overview)
गीत गोविंद राधा और कृष्ण के प्रेम की तीन अवस्थाओं पर आधारित है:
✔ 1. विरह (Separation)
राधा और कृष्ण में अंतर आता है।
राधा का मन उदास, कृष्ण व्याकुल।
✔ 2. आकुलता (Longing)
राधा कृष्ण को याद करती हैं, कृष्ण राधा को पुकारते हैं।
भावनाओं की गहराई चरम पर।
✔ 3. मिलन (Union)
अंत में राधा और कृष्ण मिलते हैं और प्रेम का दिव्य उत्कर्ष प्रकट होता है।
यही मिलन आध्यात्मिक “जीव–ब्रह्म मिलन” का प्रतीक है।
🌷 4. गीत गोविंद के 12 अध्याय (Chapters Summary)
गीत गोविंद में कुल 12 सर्ग (अध्याय) और 24 गीत हैं।
यहाँ सभी का सरल सार प्रस्तुत है (कोई copyrighted श्लोक शामिल नहीं):
1. सर्ग – समोदमोदम (प्रेम की पहली छाया)
कृष्ण वंशी बजा रहे हैं।
राधा उन्हें पाने को उत्सुक हैं।
2. सर्ग – अक्लेशकेशव (मधुर छेड़छाड़)
कृष्ण गोपियों से घिरे हैं।
राधा को जरा सी ईर्ष्या होती है।
3. सर्ग – मुग्धमधुसूदन (राधा की तड़प)
राधा विरह में बेचैन हैं।
कृष्ण उनकी याद में व्याकुल।
4. सर्ग – स्निग्धमधुसूदन (सखी का संदेश)
सखी राधा को सांत्वना देती है और कृष्ण का संदेश सुनाती है।
5. सर्ग – सखिसंवाद (मन की व्याकुलता)
राधा क्रोध, ईर्ष्या और प्रेम के बीच उलझी हैं।
कृष्ण केवल राधा को मनाने की इच्छा रखते हैं।
6. सर्ग – धीरसमीर (विरह की रात)
राधा अकेली रात बिताती हैं।
चाँद, बयार, फूल — सब विरह को बढ़ाते हैं।
7. सर्ग – नायक नायिका संवाद
कृष्ण राधा के पास आना चाहते हैं।
राधा का हृदय उन्हें पुकारता है।
8. सर्ग – रासलीला का वर्णन
कृष्ण रास करते हैं लेकिन मन राधा के लिए ही तड़पता है।
9. सर्ग – राधा का मिलन-संकल्प
राधा मन में कृष्ण को स्वीकार करती हैं।
10. सर्ग – कृष्ण का राधा को मनाना
कृष्ण राधा के चरण पकड़ते हैं (कहते हैं ऐसा दृश्य दिव्य प्रेरणा से जयदेव ने लिखा)।
11. सर्ग – पूर्ण मिलन
राधा और कृष्ण का आत्मा-परमात्मा जैसा मिलन।
दिव्य आनंद।
12. सर्ग – समर्पण का भाव
सब कुछ प्रेम में विलीन।
भक्त–भगवान की एकता का चरम।
🌸 5. गीत गोविंद का अर्थ (Meaning)
गीत गोविंद में:
- राधा = जीव (आत्मा)
- कृष्ण = परमात्मा
- गोपियाँ = इंद्रियाँ
- यमुना = मन की धारा
- वन = जीवन
- रास = दिव्य क्रीड़ा
यह भौतिक प्रेम नहीं—
ईश्वर और जीव की आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीकात्मक वर्णन है।
🌼 6. क्यों माना जाता है गीत गोविंद को दिव्य काव्य?
क्योंकि इसमें ऐसा रस है जो:
- भक्त को रुला देता है
- मन को शांत कर देता है
- प्रेम का आध्यात्मिक अर्थ समझाता है
- भक्ति को हृदय में जगाता है
ओडिशा के श्रीजगन्नाथ मंदिर में यह आज भी रात्रि-सेवा का हिस्सा है।
⚡ 7. कथा में भावनाओं की शक्ति
गीत गोविंद का सबसे गहरा पक्ष है भावनाएँ:
- प्रेम
- ईर्ष्या
- विरह
- तड़प
- समर्पण
- आनंद
जयदेव ने इन भावनाओं को देवत्व का रूप दिया है।
कृष्ण कहते हैं —
“राधा, तुम्हारे बिना मैं पूर्ण नहीं।”
यह वाक्य बताता है कि ईश्वर भी भक्त के बिना अधूरा है।
🔮 8. आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Significance)
गीत गोविंद आध्यात्मिक साधना का मार्ग भी है।
✔ विरह
आत्मा का ईश्वर से दूर होने का दर्द।
✔ तड़प
भक्त का ईश्वर को पाने की उत्कंठा।
✔ मिलन
ईश्वर-भक्ति का पूर्ण अनुभव —
समाधि या आध्यात्मिक एकता।
इसलिए कई संत इसे भक्ति साधना का शिखर कहते हैं।
🌈 9. गीत गोविंद क्यों पढ़ा/सुना जाना चाहिए?
क्योंकि यह:
- मन को शुद्ध करता है
- हृदय को भाव से भर देता है
- नकारात्मकता दूर करता है
- प्रेम को पवित्रता देता है
- ईश्वर से जुड़ाव बढ़ाता है
- भक्ति को गहन करता है
यह ग्रंथ भक्ति का अमृत है।
🌺 10. निष्कर्ष — Geet Govind का सार
गीत गोविंद सिखाता है कि:
❤️ प्रेम दिव्य है
❤️ भक्ति सर्वोच्च है
❤️ ईश्वर प्रेम से प्रकट होते हैं
❤️ विरह भी आध्यात्मिक यात्रा का भाग है
❤️ मिलन आत्मा की पूर्ति है
जयदेव की यह रचना आज भी वही सुख-दुख, आकर्षण-विरक्ति, प्रेम-विरह की दिव्य अनुभूति देती है—
जो 800 साल पहले देती थी।
गीत गोविंद केवल एक काव्य नहीं—
यह प्रेम का शास्त्र, भक्ति का मार्ग, और आत्मा की पुकार है।
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❓ FAQs
12वीं सदी के महान कवि जयदेव ने।
राधा–कृष्ण के दिव्य प्रेम और भक्ति पर।
कुल 12 सर्ग और 24 गीत।
नहीं, यह आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीकात्मक विवरण है।
क्योंकि यह प्रेम और भक्ति को अत्यंत पवित्र रूप में प्रस्तुत करता है।







