🌸 Sakat Chauth Vrat क्या है?
सकट चौथ व्रत, जिसे वक्रतुण्ड चतुर्थी या तिलकुट चौथ भी कहा जाता है,
भगवान गणेश को समर्पित पवित्र व्रत है।
यह हर साल माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
यह व्रत मुख्य रूप से माताएँ अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।
भक्त इस दिन गणेश जी की पूजा, व्रत कथा और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का समापन करते हैं।
📅 Sakat Chauth Vrat 2025 Date and Muhurat
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| व्रत तिथि | बुधवार, 15 जनवरी 2025 |
| चतुर्थी तिथि आरंभ | 14 जनवरी 2025, रात 10:40 बजे |
| चतुर्थी तिथि समाप्त | 15 जनवरी 2025, रात 08:55 बजे |
| चंद्र दर्शन का समय | रात 09:05 बजे (लगभग) |
🔹 सकट चौथ का व्रत 15 जनवरी को रखा जाएगा, चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है।
🪔 Sakat Chauth Vrat Puja Vidhi (पूजा विधि)
- सुबह स्नान के बाद संकल्प लें – “मैं अपने पुत्र की दीर्घायु और सुख के लिए व्रत रख रही हूँ।”
- गणेश जी की मूर्ति को कुशासन या लकड़ी के पाटे पर स्थापित करें।
- गणेश जी को लाल पुष्प, दूर्वा, मोदक, और तिलकुट अर्पित करें।
- दीपक जलाकर Sakat Chauth Vrat Katha सुनें।
- रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत तोड़ें।
📖 Sakat Chauth Vrat Katha (संक्षेप में कथा)
प्राचीन काल में एक वृद्धा माता ने सकट चौथ का व्रत किया, लेकिन चंद्र दर्शन से पहले ही भोजन कर लिया।
परिणामस्वरूप उसके पुत्र पर संकट आया।
बाद में गणेश जी की कृपा से उसने पुनः श्रद्धा से व्रत किया और पुत्र को जीवनदान मिला।
तब से यह व्रत संतान की रक्षा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
🌼 व्रत में क्या खाएँ और क्या न खाएँ
खाएँ:
- फल, तिलकुट, मूँगफली, गुड़, दूध से बने व्यंजन।
- रात में चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन करें।
न खाएँ:
- अनाज, नमक और मांसाहार का सेवन वर्जित है।
- दिनभर जल के अलावा कुछ न लें (यदि संभव हो)।
🌙 Sakat Chauth Ka Mahatva
- संतान की रक्षा और लंबी उम्र के लिए शुभ।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।
- गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- बाधाओं, रोग और संकटों का नाश होता है।
💬 English Summary
Sakat Chauth Vrat 2025 is dedicated to Lord Ganesha and observed mainly by mothers for the well-being and longevity of their children.
It falls on 15 January 2025, and devotees break their fast after moonrise.
Performing this vrat brings prosperity, peace, and protection from troubles.
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