Shiv Tandav Stotram (शिव तांडव स्तोत्र) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान महादेव शिव के अद्भुत और उग्र तांडव नृत्य का वर्णन करता है।
इस स्तोत्र की रचना लंकेश रावण ने स्वयं की थी, जब उसने भगवान शिव की अनंत शक्ति और करुणा का अनुभव किया।
यह स्तोत्र न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह ऊर्जा, साहस और आत्मशुद्धि का भी स्रोत है।
जो व्यक्ति इसे श्रद्धा और ध्यान के साथ पढ़ता या सुनता है, उसे भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
📜 Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi (शिव तांडव स्तोत्र)
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥
धराधरेन्द्रनन्दिनी विलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुञ्चकुमुद्द्बन्धुकुस्तुभृत्प्रभा।
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकं
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरम्॥४॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरोजटालमस्तु नः॥५॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनञ्जयाधरीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
प्रणमामि देवं परमं मनोविलासमव्यम्॥६॥
निलिम्पनिर्यथोदरः स्मरप्रमाथनाथकः
महेश्वरः महाकलः सदा शिवः शिवोऽवतु॥७॥
तव तत्त्वमिदं मनोविलासमय्यकं हरे
परं पदं महेश्वरं भवत्वमेव शङ्कर॥८॥
तव शरणं भवद्भुजङ्गकुञ्जिताङ्गुलं
नखेशु माणिक्यप्रभा जयन्ति संहरन्तु नः॥९॥
प्रचण्डमृत्युप्रभा जगत्रयं भयङ्करं
प्रपन्नलोकमङ्गलं नमामि देवमच्युतम्॥१०॥
🕉️ शिव तांडव स्तोत्र का अर्थ | Meaning of Shiv Tandav
यह स्तोत्र भगवान शिव की ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक है।
रावण ने इस स्तोत्र में शिव के तांडव नृत्य का वर्णन किया है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार — तीनों का प्रतीक है।
- शिव के जटाओं से बहती गंगा उनकी पवित्रता दर्शाती है।
- उनके कंठ का सर्प भय पर नियंत्रण का प्रतीक है।
- डमरू का नाद पूरे ब्रह्मांड की लय और संगीत का प्रतिनिधित्व करता है।
- और शिव का तांडव नृत्य — सृजन और विनाश दोनों की ऊर्जा का संतुलन है।
जो व्यक्ति रोज “शिव तांडव स्तोत्र” का पाठ करता है, उसे जीवन में भय, चिंता और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
🔔 शिव तांडव स्तोत्र पाठ का लाभ | Benefits of Chanting Shiv Tandav
| लाभ | विवरण |
|---|---|
| 🔹 नकारात्मकता से मुक्ति | मन, घर और शरीर से नकारात्मक ऊर्जा हटती है। |
| 🔹 मानसिक शांति | तनाव और गुस्सा कम होता है। |
| 🔹 आत्मविश्वास | भीतर की शक्ति और स्थिरता बढ़ती है। |
| 🔹 शिव कृपा प्राप्ति | हर कार्य में सफलता और सुरक्षा मिलती है। |
| 🔹 आध्यात्मिक उन्नति | आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा में प्रगति। |
🕉️ Shiv Tandav Path Ka Samay | Best Time to Chant
- सुबह Brahma Muhurta (4:00 AM – 5:00 AM) में
- सोमवार या महाशिवरात्रि के दिन
- ध्यान और स्नान के बाद
- शांत वातावरण में रुद्राक्ष माला के साथ
ध्यान रखें: शिव तांडव का पाठ श्रद्धा और पवित्रता से करें।
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🪔 निष्कर्ष | Conclusion
Shiv Tandav Stotram भगवान शिव की महानता, शक्ति और करुणा का प्रतीक है।
इसका पाठ न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि का भी मार्ग है।
🕉️ “शिवं शिवत्वं शिवरूपं शिवानंदं नमाम्यहम्”
जो शिव में लीन हो गया, वही सच्ची शांति को प्राप्त करता है।
हर भक्त के लिए यह स्तोत्र एक अमूल्य रत्न है — जो आत्मिक शक्ति, भक्ति और ज्ञान का संगम कराता है।








